आरोग्य व्रत की चर्चा करेंगे इसके करने से शरीर स्वस्थ रहता है। आईए इसके विषय में जानें।
आरोग्य व्रत कार्तिक शुक्ल नवमी या किसी भी शुक्ल नवमी को यह व्रत किया जा सकता है। नवमी को स्नान करके हरि का ध्यान करना चाहिए। फल, पुष्प और मधुरान्न-पानादिका भाग लगाना चाहिए। साथ में चक्र, गदा, मूसल, धनुष और खड्ग आदि आयुधों का लाल पुष्पों से पूजन करके गुडान्न का नैवेद्य अर्पण करें। इसके अतिरिक्त मृगचर्म पर तिलों का कमल बनाकर उस पर स्वर्ण का या अच्छे वर्ण का अष्टदल स्थापित करके उसकी प्रत्येक पंखुड़ी पर पूर्वादिक्रम से मन, श्रोत्र, त्वचा, चक्षु, जीभ, घ्राण, प्राण और बुद्धि इनका पूजन करके इस मन्त्र का जाप करना चाहिए-
अनामयानीन्द्रियाणि प्राणश्च चिर-संस्थितः। अनाकुला च में बुद्धिः सर्वे स्युर्निरुपद्रवा॥ मनसा कर्मणा वाचा मया जन्मनि जन्मनि। संचितं क्षपयत्वेनः कालात्मा भगवान हरिः।
उक्त मन्त्र से हरि की उपासना करनी चाहिए।
इनकी प्रार्थना करें तो रोगी नीरोग और सदैव स्वस्थ रहता है। इस व्रत को कोई भी कर सकता है। आप शरीर कष्ट से परेशान हैं तो आप भी करके देखें।
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