आजकल स्वाइन फ्लू की चर्चा जोरों में है। हर कोई स्वाइन फ्लू को लेकर आशंकित और आंतकित है। यह कैसे फैलता है और इसका क्या प्रभाव है। यह किस वायरस से फैलता है। और स्वाइन फ्लू का एच1 एन1 से क्या संबंध है। इसकी चर्चा इस लेख में करेंगे।
एच 1 एन 1 है क्या बला?
एच 1 एन 1 वायरस से लोग डरते हैं, लेकिन क्यों है यह डर? वैसे तो यह बीमारी सूअरों में होने वाली श्वसन तन्त्र की बीमारी है।
इस वायरस में हिमाग्लुटिनिन और न्यूरामिनिडेज नाम के प्रोटीन होते हैं। इन्हीं की वजह से इस वायरस का नाम एच 1 एन 1 रखा गया है। यह वायरस उन लोगों में देखने में आया है जोकि सूअरों के करीब रहते हैं। फिर यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है।
कैसे संक्रमित करता है?
सूअरों के सम्पर्क में आने से या फिर ऐसे वातावरण में रहने से जो स्वाइन फ्लू के वायरस से प्रदूषित हो।
ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आने से जो स्वाइन फ्लू से ग्रस्त है। एक व्यक्ति से दूसरे तक यह ऐसे ही पहुंचता है जैसे मौसमी फ्लू पहुंचता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण इस प्रकार देखे जाते हैं-बुखार, खांसी, गला खराब, शरीर में पीड़ा, सिरदर्द, ठंड या थकान।कुछ लोगों को अतिसार एवं उल्टी की शिकायत भी रहती है। इसके लिए एंटी वायरल दवाएं प्रयोग की जाती हैं। यदि बुखार बढ़े तो पैरासीटामोल के साथ इन दवाओं के सेवन से ताप कम किया जा सकता है।
स्वाइन फ्लू का निदान
किसी व्यक्ति को सूअर का मांस खाने से स्वाइन फ्लू नहीं हो सकता है। यह विशेष रूप से उस व्यक्ति के पास आने से फैलता है जो इस वायरस से ग्रस्त है। एंटी वायरल दवा से ज्वर कम कर सकते हैं। कुछ मामलों में यदि ज्वर अधिक है तो ठंडे पानी की पट्टियां माथे पर रखें। रोगी को तरल पदार्थ दे सकते हैं। चूंकि इस फ्लू के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए। इस रोग में आपको अपने फैमिली डॉक्टर से नियमित सलाह अवश्य लेते रहना चाहिए।
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