एक बार जीवन की कठिनाईयों से बाहर निकलने का मार्ग मोहन को बहुत प्रयास करने पर भी नहीं मिला तो वह अपने एक मित्र के पास गया।
तब उसे मित्र ने कहा-'तुम मेरे पास आए हो पर मैं तुम्हें इस कठिनाई से बाहर नहीं निकाल सकता हूँ। क्योंकि मेरे पास इतना ज्ञान नहीं है कि मैं तुम्हारी समस्या का निदान बता सकूं। तुमको किसी विशेष विद्वान के पास जाना चाहिए जोकि तुम्हें तुम्हारी समस्या का निदान बता सके। अधिक ज्ञानवान् ही तुम्हें तुम्हारी समस्या से मुक्त करा सकता है। इस संशय का निदान विद्वान ही के पास मिलेगा। ज्ञान से समस्त संशय मिट जाते हैं और समस्या का निराकरण हो जाता है। सुनो! मेरे एक मित्र इस विषय के विशेषज्ञ हैं और उनका स्वाध्याय भी अधिक हैं। वे ही तुम्हारे इस संशय को दूर करके तुम्हें तुम्हारी समस्या से मुक्ति दिला सकते हैं।'
मोहन ने अपने मित्र की सलाह पर उनके मित्र से मिलने की योजना बनायी और मित्र के सहयोग से उनसे समय लेकर मिला। उनसे बातचीत करके अपनी समस्या बतायी तो उन्होंने उसके संशय दूर कर दिए। संशय दूर हो जाने से उसके ज्ञान में वृद्धि हुई एवं जीवन को एक दिशा मिली। तब वह निज प्रयासों से शीघ्र ही अपने लक्ष्य को पाने में सफल हुआ।
उस समय उसे भान हुआ कि ज्ञान वह बल है जो एक दिशा प्रदान करता है और समस्त संशय को मिटाता है।
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