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गुरुवार, अप्रैल 06, 2017

आलोचना से घबराना नहीं चाहिए

आलोचना से घबराना नहीं चाहिए (aalochanaa se ghabaraanaa naheen chaahie)
आलोचना से घबराकर व्‍यक्ति अपने लक्ष्‍य को पाने के लिए तत्‍पर ही नहीं होता है क्‍योंकि वह भय खाता है कि उसकी बदनामी न हो जाए। जो ऐसा करते हैं वे कदापि आगे नहीं बढ़ पाते हैं आलोचना को सुधार के रूप में लेंगे तो निश्चित रूप से आगे ही बढ़ेंगे और बाधाओं को दूर कर पाएंगे। आलोचना से जो अनुकरणीय हो उसे स्‍वीकार कर लेना चाहिए और जो अनुपयोगी  हो उसे त्‍याज्‍य देना चाहिए। जो लक्ष्‍य के प्रति समर्पित रहते हैं वे आलोचनाओं से घबराकर अपना मार्ग नहीं बदलते हैं। आलोचना से घबराना नहीं चाहिए इससे आपको अपनी कमियां ज्ञात होती हैं और उनमें सुधार करके आप अपनी लक्ष्‍य प्राप्ति सहज बना पाते हैं।

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