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मंगलवार, जून 14, 2011

नेत्र संबंधी कष्ट से मुक्ति दिलाने वाला मन्त्र


 
    आप नेत्रों के कष्ट से परेशान है। आए दिन नेत्र संबंधी कोई न कोई कष्ट मिलता ही रहता है। आजकल कॅम्प्यूटर पर अधिक समय कार्य करने से भी नेत्र की ज्योति कम हो रही है और नेत्रों में जलन रहती है। आप नेत्र के किसी भी कष्ट से परेशान हैं तो आपको यहां एक अनुभूत मन्त्र बताते हैं जिसके प्रतिदिन जाप से आप नेत्र संबंधी कष्ट से मुक्ति पा सकते हैं। यदि आपकी आंखें ठीक हैं तो भी आप इस मन्त्र को कर सकते हैं, ऐसा करने से नेत्र संबंधी समस्या आएगी ही नहीं। इस मन्त्र की प्रतिदिन एक माला जाप करें। किसी भी शुक्लपक्ष के रविवार को प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में प्रारम्भ करके इसे नित्य कर सकते हैं। इस मन्त्र से 11 बार साफ जल अभिमन्त्रित करके उस जल से आंखे धोने से भी नेत्र संबंधी कष्ट में आराम आता है।
    अनुभूत वैदिक मन्त्र जोकि ऋग्वेद 10वें मण्डल के 158 सूक्त में इस प्रकार अंकित है-
    ऊं चक्षुर्नो देवः सविता चक्षुर्न उत पर्वतः। चक्षुर्धाता दधातु नः।
    चक्षुर्नो धेहि चक्षुषे चक्षुर्विख्ये तनूभ्यः।
    सं चेदं वि च पश्येम। सुसंदृशं त्वा वयं प्रति पश्येम सूर्य।
    वि पश्येम नृचक्षसः॥

    अर्थात्‌ सबके प्रेरक सूर्यदेव! हमें उत्तम चक्षु प्रदान करें, पर्वत हमें तेजस्वी चक्षु दें और विधाता हमें प्रकाशमान नेत्र प्रदान करें। हे सूर्यदेव! हमारी आंखों को तेज दें, ऐसी ज्योति दें जिससे हम समस्त पदार्थों को भली-भांति देख सकें। हम आपके तेज से इस संसार को अच्छी प्रकार से देख सकें। हे सूर्यदेव! आपका हम दर्शन कर सकें। मनुष्य जिसे देखने में समर्थ है, उसे हम विशिष्ट रूप से देखें।
    यदि आपको इस मन्त्र से लाभ हो तो आप किसी भी व्यक्ति को जो नेत्र रोग से पीड़ित हो को बताकर उसे उस कष्ट से मुक्ति दिलाकर पुण्य कमा सकते हैं।

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