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सोमवार, अगस्त 30, 2010

ज्‍योतिष एक आशा है!- डॉ उमेश पुरी 'ज्ञानेश्‍वर'



     ज्योतिष का संदेश प्रभावशाली और स्पष्ट है कि ज्‍योतिष एक आशा है उनके लिए जो जीवन के लक्ष्‍य को पाने के लिए इसका सहयोग लेना चाहते हैं। ज्‍योतिष्‍ा सबके जीवन का मार्गदर्शन देकर व्यावहारिक सहायता करता है। ज्योतिष भारत तक ही सीमित नहीं है, आज विश्‍वव्‍यापी है। यदि आप कहते हैं कि ज्‍योतिष एक कपडा है तो वह निश्चित रूप से कर्म के धागे में बुना है। यदि आप नकारात्‍मक हैं तो आप बुरे कर्म या कुकर्मों में लिप्‍त हो सकते हैं, जिसका परिणाम दु:खद है। यदि आप सकारात्‍मक हैं तो आप सुकर्म या अच्‍छे रचनात्‍मक कर्मों में लिप्‍त हो सकते हैं जिसका परिणाम सुखद है। कर्म की अवधारणा से तात्‍पर्य यह है कि हम अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार रहें। जैसा हम बोएंगे वैसा हमें काटना होगा। भाग्‍य कर्मों का ही प्रतिफल है। एक जीवन यात्रा की पूर्णता पर सुकर्म की राशि अधिक है तो अगली जीवन यात्रा में भाग्‍यशाली होंगे और यदि कुकर्म की राशि अधिक है तो अगली जीवन यात्रा में दुर्भाग्‍य आपका पीछा नहीं छोडेगा।  वस्‍तुत: भाग्य हमारे कर्मों का परिणाम है। 
     कर्म संबंधी ऋण को चुकाकर आप उपचारात्मक प्रक्रियाओं के बल पर आने वाली बाधाओं एवं लाभहानि से बच सकते हैं। इसके लिए आपको किसी योग्‍य ज्‍योतिषी की शरण में जाना होगा। वही बता सकता है कि आप किन कार्मिक ऋणों से प्रभावित हैं और उनका उपाय या निवारण क्‍या है। उपाय द्वारा दृढ़ संकल्प और ऊर्जा में वृद्धि हो जाने से आप सही मार्ग एवं कर्म करने को प्रशस्‍त होते हैं जिसके फलस्‍वरूप आप उन्‍नति एवं सफलता के संग प्रसन्‍नचित्‍त होते हैं। ईश्‍वर पर आस्‍था का दृष्टिकोण भी लोगों को सहिष्णुता और धैर्य बढ़ाने के लिए होता है जोकि भक्‍त या साधक के विश्‍वास एवं आस्‍था पर निर्भर है कि वह कितना प्रभावित होकर सहिष्‍णुता एवं धैर्य उपलिब्‍ध रूप में पाता है। इसकी कोई अन्तिम सीमा नहीं है, यह सब भक्‍त व साधक के समर्पण पर निर्भर है। 
     आपके सभी कार्य भलीभांति चल रहे हैं और आपके समक्ष किसी प्रकार की बाधा नहीं है तो आप व्‍यस्‍त हैं और आपको कभी भी किसी ज्‍योतिषी का स्‍मरण नहीं होगा। जब आप परेशान हैं, तनाव में हैं, आपके कार्य नहीं बन रहे हैं तब आप ज्‍योतिषी के दर पर भटकते मिलेंगे।  यहां आपका व्‍यवहार उसी प्रकार का है जैसा आप ईश्‍वर संग करते हैं, कहने का तात्‍पर्य यह है कि सुख में प्रभु का स्‍मरण भी नहीं होता है और दु:ख आने पर प्रभु दिनरात याद आने लगते हैं। ज्‍योतिष कोई चमत्‍कार नहीं है जो आपको चुटिकियों में कुछ भी दिला दे। वह तो आपके कर्मों के लेखेजोखे की बैंलसशीट में सौभाग्‍य एवं दुर्भाग्‍य के रूप में जो आपको मिला है, उसको पढकर संकेत मात्र देता है। इस संकेतों को समझकर आप किस प्रकार योजनाएं बनाकर सक्रिय होते हैं कि आप लाभ एवं उन्‍नति की स्थिति में होते हैं और हानि एवं अवनति को पास फटकने ही नहीं देते हैं। यहां आप भाग्‍य के दिए संकेतों को दैवज्ञ या ज्‍योतिषी के द्वारा समझकर एक प्रबन्‍धक की भांति सुयोजना बनाते हैं और परिणाम सदैव सकारात्‍मक ही पाते हैं।
    ज्‍योतिष भविष्य के लिए आशा की एक किरण मात्र है जो आपको आशावादी बनाती है, एक स्‍वर्णिम भविष्‍य के लिए। ज्योतिष का ज्ञाता ही ज्‍योतिषी है, जोकि सांसारिक एवं आध्‍यात्मिक रूप से सफल होने के लिए एक उत्‍तम साधन जुटाने के लिए एक अच्‍छे सहायक के रूप में सबके लिए उपहार सदृश है। बात इतनी सी है कि इस शास्‍त्र का उपयोग हम किस रूप में कर रहे हैं।

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