उत्तराभिमुख आसन पर बैठ जाएं। यह प्रयोग रात्रि नौ बजे के उपरान्त और साढ़े ग्यारह बजे से पूर्व करना है। धूप व दीपक जलाकर 33 दिनों तक बिना नागा पांच माला प्रतिदिन करें। प्रयोग के उपरान्त तर्पण करें और ब्राह्मण को भोजन कराएं। दीपावली की रात्रि में 165 माला का जाप व एक माला का हवन करके सिद्ध करें और बाद में लिखकर देने से गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है। मन्त्र इस प्रकार है-
ऊं दमयन्ती-नलाम्यां तु नमस्कारं करोम्यहम्। अभिवादो भवेदत्र कलिदोष प्रशान्तिदः॥
ऐकमत्यं भवेदेषां ब्राह्मणानां पृथ्सग्धियाम्। निर्वैरता च जायेत संवादाग्ने प्रसीद में॥
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