शनिवार, अगस्त 14, 2010

माता-पिता



स्वस्ति मात्र उत पित्रो नो अस्तु॥ अथर्ववेद 1.31.4
हमारे माता और पिता के लिये सुख हो।
प्रातःकाल जब सोकर उठो तो सर्वप्रथम अपने माता-पिता को नमस्कार करो और उनका आशीर्वाद लो। ऐसे ही रात्रि के समय सोने से पूर्व करो। कभी भूलकर भी ऐसा कार्य न करो कि जिससे माता-पिता को दुःख या क्लेश हो। माता-पिता को सर्वाधिक सुख व आनन्द निज  सन्तान की कीर्ति से होता है।
माता-पिता को दोगे सुख। कभी न होगा तुमको दुःख॥

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