नेतृत्व करने की क्षमता उनमें उत्पन्न होती है जो उद्देश्य को लेकर कार्य करते हैं। जब आप उद्देश्य को लेकर कार्य करेंगे तो आप नेतृत्व करने के लिए अनुयायी बना सकेंगे।
आपको उद्देश्य पूर्ण करने के लिए उत्साही होना होगा। उत्साह होगा तो कार्य के लिए तत्पर होंगे और उद्देश्य प्राप्ति के लिए लोग भी आपके साथ जुड़ेंगे। उत्साही होने के साथ-साथ आपको विनोदी भी होना चाहिए। विनोदी स्वभाव रखेंगे तो त्रुटियों को स्वीकार करने में सक्षम हो सकेंगे। आप हंसेंगे तो लोग भी आपके साथ मुस्कराएंगे। कभी-कभी विनोदी स्वभाव के कारण अपनी एवं दूजों की त्रुटियों का भान सरलता से हो जाता है। त्रुटियां दूर करने से उद्देश्य प्राप्ति सहज हो जाती है।
सीखने की कोई आयु नहीं होती है। सीखने को सदैव उत्सुक रहिए। सीखने की इच्छा होगी तो आगे बढ़ने एवं नेतृत्व करने की क्षमता भी विकसित होगी। प्राय: लोग यह समझ लेते हैं कि हमारी तो सीखने की आयु ही निकल गई है, इसीलिए वे विकसित नहीं हो पाते हैं।
नेतृत्व करने की क्षमता और अधिक विकसित करनी है तो दूजों की प्रशंसा के लिए तत्पर रहिए। यदि कोई आपकी किसी भी रूप में सहायता करे तो सदैव उसको उसका श्रेय दीजिए। यह जान लीजिए वो अधिक सफल होता है जो दूजों से कार्य करवाने की रीति जानता है। नेतृत्व करने वाले में यह विशेषता होती है कि गलती हो जाने पर वह उसकी सारी जिम्मेदारी स्वयं पर ले लेता है। अत: ध्यान रखिए प्रशंसा तो बाटिए पर आरोप अपने ऊपर ले लीजिए।
कभी किसी का उपहास मत कीजिए। दूजों के दोष भी न निकालिए। झुंझलाना तो भूल जाईए। एक अच्छे नेता इन तीनों बातों का ध्यान रखता है। उपहास उड़ाने, दोष निकालने और झुंझलाने से बनता हुआ कार्य भी बिगड़ जाता है। अनुयायी भी शत्रु बन जाते हैं। ऐसे में उद्देश्य पूर्ण होना तो दूर की बात है।
लोगों के मन में अपनी विश्वसनीयता बढ़ाइए। दूजों की अपेक्षा से अधिक एवं अपेक्षा से पूर्व कार्य करने से विश्वसनीयता बढ़ती है। मूल्य पाने की अपेक्षा में कार्य ही प्रारम्भ नहीं करेंगे तो बहुत पीछे हो जाएंगे और कहीं भी नहीं पहुंच पाएंगे।
यह भी ध्यान रखें कि वादा कीजिए नहीं और यदि करते हैं तो उन्हें निभाईए। झूठे वादे कभी नहीं कीजिए। वादा किया ही तभी जाता है जब उसे पूर्ण करना हो। जो ऐसा नहीं करते वे बहुत कुछ खो देते हैं।
आप उक्त तथ्यों को ध्यान में रखिए और उद्देश्य प्राप्ति के लिए कोई कसर न छोडि़ए। शेष ईश्वर पर छोड़ दीजिए आपके नेतृत्व में अनुयायी भी आपके पीछे होंगे और उद्देश्य प्राप्ति हो जाने से आप सफल नेता बन जाएंगे या अच्छा नेतृत्व करने की क्षमता उत्पन्न कर लेंगे।
आपको उद्देश्य पूर्ण करने के लिए उत्साही होना होगा। उत्साह होगा तो कार्य के लिए तत्पर होंगे और उद्देश्य प्राप्ति के लिए लोग भी आपके साथ जुड़ेंगे। उत्साही होने के साथ-साथ आपको विनोदी भी होना चाहिए। विनोदी स्वभाव रखेंगे तो त्रुटियों को स्वीकार करने में सक्षम हो सकेंगे। आप हंसेंगे तो लोग भी आपके साथ मुस्कराएंगे। कभी-कभी विनोदी स्वभाव के कारण अपनी एवं दूजों की त्रुटियों का भान सरलता से हो जाता है। त्रुटियां दूर करने से उद्देश्य प्राप्ति सहज हो जाती है।
सीखने की कोई आयु नहीं होती है। सीखने को सदैव उत्सुक रहिए। सीखने की इच्छा होगी तो आगे बढ़ने एवं नेतृत्व करने की क्षमता भी विकसित होगी। प्राय: लोग यह समझ लेते हैं कि हमारी तो सीखने की आयु ही निकल गई है, इसीलिए वे विकसित नहीं हो पाते हैं।
नेतृत्व करने की क्षमता और अधिक विकसित करनी है तो दूजों की प्रशंसा के लिए तत्पर रहिए। यदि कोई आपकी किसी भी रूप में सहायता करे तो सदैव उसको उसका श्रेय दीजिए। यह जान लीजिए वो अधिक सफल होता है जो दूजों से कार्य करवाने की रीति जानता है। नेतृत्व करने वाले में यह विशेषता होती है कि गलती हो जाने पर वह उसकी सारी जिम्मेदारी स्वयं पर ले लेता है। अत: ध्यान रखिए प्रशंसा तो बाटिए पर आरोप अपने ऊपर ले लीजिए।
कभी किसी का उपहास मत कीजिए। दूजों के दोष भी न निकालिए। झुंझलाना तो भूल जाईए। एक अच्छे नेता इन तीनों बातों का ध्यान रखता है। उपहास उड़ाने, दोष निकालने और झुंझलाने से बनता हुआ कार्य भी बिगड़ जाता है। अनुयायी भी शत्रु बन जाते हैं। ऐसे में उद्देश्य पूर्ण होना तो दूर की बात है।
लोगों के मन में अपनी विश्वसनीयता बढ़ाइए। दूजों की अपेक्षा से अधिक एवं अपेक्षा से पूर्व कार्य करने से विश्वसनीयता बढ़ती है। मूल्य पाने की अपेक्षा में कार्य ही प्रारम्भ नहीं करेंगे तो बहुत पीछे हो जाएंगे और कहीं भी नहीं पहुंच पाएंगे।
यह भी ध्यान रखें कि वादा कीजिए नहीं और यदि करते हैं तो उन्हें निभाईए। झूठे वादे कभी नहीं कीजिए। वादा किया ही तभी जाता है जब उसे पूर्ण करना हो। जो ऐसा नहीं करते वे बहुत कुछ खो देते हैं।
आप उक्त तथ्यों को ध्यान में रखिए और उद्देश्य प्राप्ति के लिए कोई कसर न छोडि़ए। शेष ईश्वर पर छोड़ दीजिए आपके नेतृत्व में अनुयायी भी आपके पीछे होंगे और उद्देश्य प्राप्ति हो जाने से आप सफल नेता बन जाएंगे या अच्छा नेतृत्व करने की क्षमता उत्पन्न कर लेंगे।
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