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शुक्रवार, जनवरी 11, 2019
जीवन एक खेला (लघुगीत तांका)
आज शुक्रवार है और प्रत्येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में लघु गीत तांका के अन्तर्गत हे 'जीवन एक खेला' शीर्षक के अन्तर्गत पांच तांका दे रहे हैं। तांका में ५,७,५,७,७ के क्रम में कुल इकतीस अक्ष्ार की पांच पक्तियों होती हैं। आपको यह लघुगीत तांका कैसा लगा कमन्ट बॉक्स में टिप्पणी देकर अवश्य बताएं। धन्यवाद। जीवन एक खेला 1 बड़ा पुराना जीवन एक खेला खूब झमेला जितना मैंने झेला उतना फिर खेला 2 खूब झमेला जीवन मटमैला घुप्प अंधेरा दूर मुझे हटाना जीवन चमकाना 3 सुख पाने को संघर्ष झेला सदा कुछ आने दो खुलकर जीने दो गम दूर जाने दो 4 गम अपना बन गया सपना जब है झेला गम के बाद देखा सुख को मैंने सदा
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