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शुक्रवार, अगस्त 11, 2017
परिवर्तन
आज शुक्रवार है और प्रत्येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में एक कविता सुनाते हैं जिससे आप जान सकेंगे कि हमारे आसपास परिवर्तन में क्या-क्या होता है। यदि आपने अभी तक हमारे चैनल को सबस्क्राईब नहीं किया है तो अवश्य करें और नयी ज्ञानवर्धक, प्रेरणास्पद्, मनोरंजक और जीवनोपयोगी वीडियो की जानकारी पाएं। कविता इस प्रकार है- परिवर्तन पंख लगा समय उड़ा। मैं यूं ही रहा खड़ा। दे गये अपने दगा। मैं भी था गया ठगा।
सब बदला सा लगा, कौन किसी का है सगा। जीवन धारा नित बही। और यन्त्रणा भी सही।
सत् भी मन्दा कर दिया। लोभ ने अन्धा कर दिया। झूठ पनपता जा रहा। नित नव रंग दिखा रहा।
दुख ही दुख अब व्याप्त है। सुख की अवधि समाप्त है। स्वप्न गये हैं डूब से। समय चक्र भी खूब है।
जीवन में परिवर्तन रे। सुख-दुख का अपवर्तन रे। यह आवश्यक बात है। दिन के आगे रात है।
जीवन आना-जाना है। सब कुछ खोना-पाना है। जीवन यूं ही ढलता है। प्रकृति चक्र यूं चलता है। Share, Support, Subscribe!!! Subscribe: https://goo.gl/Yy88SP
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