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शुक्रवार, जून 11, 2010

जियो जीवन


चित्र गूगल से साभार

जियो जीवन

     जीवन एक यात्रा है जन्‍म से म़त्‍यु तक की।
     यह यात्रा जन्‍म लेते ही प्रारम्‍भ हो जाती है और इसका अन्‍त मृत्‍यु के साथ होता है।
      जन्‍म से म़त्‍यु तक की अवधि को आयु कहते है।  आयु दीर्घ, मध्‍यम एवं अल्‍प हो सकती है। 
      मानव जीवन सर्वोपरि एवं अनमोल है।  करोडों जीवों में मानव रूप में जन्‍म मिलना बडे सौभाग्‍य की बात है। इस जीवन को सार्थक बना लेना चाहिए। जीवन तभी सार्थक बनता है जब आप कुछ विशेष करके जाते हैं। सामान्‍य जीवन तो सभी जीकर जाते हैं। 
      जन्‍म, शिक्षा, नौकरी, विवाह, सन्‍तान और फिर उनकी शिक्षा, नौकरी, विवाह, फिर उनकी सन्‍तान की चाह, यह एक लकीर है जिसके फकीर सभी है। 
      हम सब इतने व्‍यस्‍त हैं कि हमें समय का अभाव लगता है।
      इसी लिए इस लकीर के फकीर बने रहते हैं, हमारे पास कुछ अतिरिक्‍त करने की फुरसत ही नहीं है।
     ऐसा नहीं है, समय होता है पर हम सब में कुछ अलग करने की चाह नहीं होती है। जिनमें होती है वे कुछ विशेष करते हैं, उन्‍हीं के बल पर समाज व देश में विकास होता है। वे ही दूजों के लिए कुछ करके जाते हैं।
      जीवन में सभी को जियो और जीने दो का अनुपालन करना चाहिए।
      जीवन में सार्थकता को प्रश्रय देना चाहिए।
      लकीर के फकीर बनने के साथ साथ जीवन को एक लक्ष्‍य देना चाहिए।
     लक्ष्‍यहीन जीवन निरर्थक होता है। इसमें सार्थकता तभी आती है जब हम एक दिशा विशेष में प्रयास रत होते हैं। सिर्फ जीवन को यूं ही व्‍यतीत करके चले जाना ही सबकुछ नहीं है। जीवन को जियो, निज लक्ष्‍य के अनुसार, तभी कह सकेंगे कि आपने लक्ष्‍य पाकर जीवन जिया और कुछ विशेष किया।
      कर्म ही सबकुछ है, कर्महीन नर कुछ नहीं पाता है। किन्‍तु कर्म की दिशा निर्धारित होनी चाहिए। दिशाहीन जीवन भटकाव लाता है। भटकाव से सदैव बचना चाहिए। जीवन में प्रफुल्‍लता तभी आती है जब हम जीवन यात्रा के साथ साथ मनोरंजक यात्राएं भी करते हैं। मनोविनोद के लिए यात्राएं सपरिवार करनी चाहिएं। इससे जीवन में एक नवीनता आती है और जीवन में कुछ करने की उर्जा प्राप्‍त होती है। प्रत्‍येक वर्ष जीवन का एक लक्ष्‍य होना चाहिए और उसे पाने के लिए प्रयास करना चाहिए। लेकिन जीवन में आनन्‍द के लिए, नवीनता के लिए कुछ समय सपरिवार भ्रमण या यात्रा पर अवश्‍य खर्च करना चाहिए। आप वर्ष में एक बार सपरिवार मनोविनोद के लिए यात्रा अवश्‍य करें, इसके करने के बाद ही आप कह सकेंगे कि जीवन जिया। खुद भी जीवन को जिएं और दूजों से कहें कि सुख, आनन्‍द, नवीनता एवं प्रफुल्‍लता हेतु जियो जीवन।

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