लोक सेवा आयोग प्रत्येक वर्ष आईएएस की परीक्षा आयोजित करता है और लाखों युवक-युवतियां आईएएस की परीक्षा देते हैं, पर सभी सफल नहीं होते हैं। वे सफल होते हैं जो कठिन परिश्रम करते हैं और उनका भाग्य भी साथ देता है। सफल युवक-युवतियां सरकारी व प्रशासनिक नौकरी में आकर मान-सम्मान, उच्च वेतन और अधिकार पाते हैं। एक प्रकार से उनका जीवन राजा सदृश होता है। क्या आपके भाग्य में यह सब है? कहीं आप आई ए एस तो नहीं बनना चाहते हैं! चाहते हैं तो अपनी कुंडली में उसकी संभावनों को देख लें। यदि ये योग हों तो आप इस क्षेत्र में लम्बी पारी खेल सकते हैं-
यदि पंचमेश बुध और गुरु की युति केंद्र या त्रिकोण भाव में हो तो जातक बुद्धिमान और मात्र ईशारे से बात को समझने वाला होता है। बुध, चंद्रमा एवं मंगल पर बलवान शुभ ग्रहों की दृष्टि भी जातक तुरंत बुद्धि वाला होता है। तुरन्त बुद्धि परीक्षा एवं साक्षात्कार दोनों में सफल होते हैं।
आईएएस की कुंडली के लिए लग्न भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, नवम भाव तथा दशम भाव के स्वामियों का अध्ययन करें। यदि इन पांचों स्थानों के स्वामी ग्रहों का परस्पर संबंध है, तो आईएएस बनने के योग प्रबल होंगे। दशम भाव के स्वामी की सूर्य नवांश में स्थिति अथवा बृहस्पति के नवांश में स्थिति जातक को निश्चित रूप से राज्य में उच्च पद प्रदान करती है।
वर्गोत्तमी चंद्र पर चार या अधिक ग्रहों की दृष्टि हो तथा इनमें से कोई एक या अधिक योग हो, तो सफलता मिलती है।
शनि और गुरु का संबंध युति द्वारा दृष्टि द्वारा या राशि परिवर्तन द्वारा कुण्डली में हो तो इस परीक्षा में सफलता देता है।
केन्द्र व त्रिकोण का परस्पर संबंध युति या दृष्टि से हो एवं योगकारक ग्रह बली हो तो राजयोग बनता है। कुण्डली में जितने अधिक राजयोग होंगे उतना अधिक इस क्षेत्र में उन्नति करेगे और इसकी परीक्षा में सफलता पाएंगे।
नौकरी में सवार्धिक उन्नति के लिए दशम में सर्वाष्टक वर्ग की रेखा संख्य से कम रेखा संख्या पंचम भाव में होगी तो आप अपने कैरियर में सर्वोच्च शिखर पर होंगे।
केन्द्र या त्रिकोण के स्वामी उच्च या वर्गोत्तम में हों एवं उनका परस्पर स्थान परिवर्तन हो या दृष्टि या युति संबंध हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बनकर अच्छा अधिकर, धन एवं यश पाता है।
यदि पंचमेश बुध और गुरु की युति केंद्र या त्रिकोण भाव में हो तो जातक बुद्धिमान और मात्र ईशारे से बात को समझने वाला होता है। बुध, चंद्रमा एवं मंगल पर बलवान शुभ ग्रहों की दृष्टि भी जातक तुरंत बुद्धि वाला होता है। तुरन्त बुद्धि परीक्षा एवं साक्षात्कार दोनों में सफल होते हैं।
आईएएस की कुंडली के लिए लग्न भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, नवम भाव तथा दशम भाव के स्वामियों का अध्ययन करें। यदि इन पांचों स्थानों के स्वामी ग्रहों का परस्पर संबंध है, तो आईएएस बनने के योग प्रबल होंगे। दशम भाव के स्वामी की सूर्य नवांश में स्थिति अथवा बृहस्पति के नवांश में स्थिति जातक को निश्चित रूप से राज्य में उच्च पद प्रदान करती है।
वर्गोत्तमी चंद्र पर चार या अधिक ग्रहों की दृष्टि हो तथा इनमें से कोई एक या अधिक योग हो, तो सफलता मिलती है।
शनि और गुरु का संबंध युति द्वारा दृष्टि द्वारा या राशि परिवर्तन द्वारा कुण्डली में हो तो इस परीक्षा में सफलता देता है।
केन्द्र व त्रिकोण का परस्पर संबंध युति या दृष्टि से हो एवं योगकारक ग्रह बली हो तो राजयोग बनता है। कुण्डली में जितने अधिक राजयोग होंगे उतना अधिक इस क्षेत्र में उन्नति करेगे और इसकी परीक्षा में सफलता पाएंगे।
नौकरी में सवार्धिक उन्नति के लिए दशम में सर्वाष्टक वर्ग की रेखा संख्य से कम रेखा संख्या पंचम भाव में होगी तो आप अपने कैरियर में सर्वोच्च शिखर पर होंगे।
केन्द्र या त्रिकोण के स्वामी उच्च या वर्गोत्तम में हों एवं उनका परस्पर स्थान परिवर्तन हो या दृष्टि या युति संबंध हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बनकर अच्छा अधिकर, धन एवं यश पाता है।
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